Tuesday 4 June 2019

ओजोन परत का क्षरण=ozon layer depletion

          ओजोन परत के क्षरण का विवरण

 पृथ्वी से 15 से 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर समताप मंडल में ओजोन गैस की एक परत बनी हुई है जिसे ओजोन परत कहते हैं ओजोन परत सूर्य के प्रकाश की उच्च ऊर्जा युक्त अल्ट्रावायलेट किरणों को पृथ्वी पर पहुंचने से रोकती है जिसके कारण पृथ्वी पर मौजूद मानवीय एवं अन्य जीव धारियों के स्वास्थ्य की रक्षा होती है इस प्रकार ओजोन परत पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है



ओजोन परत द्वारा सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से                 पृथ्वी के बचाव को दिखाता हुआ चित्र

पिछले कुछ सालों से यह प्राय देखने में आया है तथा शोध द्वारा पाया गया है कि ओजोन परत में ओजोन गैस की कुल मात्रा में प्रति दशक लगभग 4% की कमी आ रही है जिसके कारण ओजोन परत में अंटार्कटिका महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड दक्षिण अफ्रीका दक्षिण अमेरिका आदि देशों के ऊपर छेद बन गया है बढ़ते समय के साथ-साथ वर्तमान में उत्तरी ध्रुव पर बसंत ऋतु में इसी प्रकार के छेद ओजोन परत में प्राय देखने को मिलते हैं

                 ओजोन परत के क्षरण  के कारण

पिछले 50 से 60 वर्षों में मानव ने प्रकृति के संतुलन को वायुमंडल में हानिकारक गैस तथा रसायन को फैलाकर अस्त-व्यस्त कर दिया है जिससे जीवन रक्षक ओजोन परत को भारी नुकसान हो रहा है वह जून परत में ओजोन गैस की कमी तथा विनाश के लिए प्रमुख रूप से एलोजेनिक के से उत्तरदाई है इन देशों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन क्लोरो ब्रोमीन मिथाइल क्लोरोफॉर्म तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि के से तथा रसायन प्रमुख है इन रसायन तथा गैसों से ओजोन परत में एक छेद बन रहा है जिसके कारण सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें सीधी धरती पर पहुंच रही है और यह किरणें मनुष्य तथा पृथ्वी के समस्त जीवो के लिए हानिकारक है
ओजोन परत मैं क्लोरीन के एक परमाणु के मिश्रण से 100000 ओजोन अनु नष्ट हो जाते हैं क्लोरीन के परमाणु क्लोरोफ्लोरोकार्बन के विघटन से निर्मित होते हैं  




ओजोन परत के क्षरण का का रसायनिक सूत्र इस प्रकार है
CFCI3+hv -CFCI2+CI( chlorine)
                   ( chlorofluorocarbon)
क्लोरीन के साथ साथ ब्रोमीन के परमाणु भी और जॉन परत के अनेक अनु को मार देते हैं जिसके कारण ओजोन परत पर वह जून की मात्रा में क्रमश कमी आती रहती है तथा ओजोन परत में शरण की प्रक्रिया और तेजी से बढ़ती जाती है

              ओजोन परत के क्षरण के प्रभाव

  1. ओजोन परत के नुकसान से विश्व में त्वचा कैंसर तथा आंखों का रोग में मोतिया बिंद की संख्या में वृद्धि हो रही है
  2.  सूर्य की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से मानव सहित अन्य जीव धारियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है
  3. भूमध्य रेखीय सत्र में ओजोन में नुकसान के कारण औसत तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है जिसके कारण वहां के निवासियों के शारीरिक व मानसिक विकास पर खतरनाक असर पड़ा है
  4. तेरा बेंगनी किरणों के प्रभाव से सागरीय जल के पादप पलवक लगभग समाप्त हो रहे हैं जिसके कारण समुद्री विभागों की खाद श्रंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है
5  .ओजोन परत में क्षति के कारण सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का सीधा पृथ्वी पर आने से पृथ्वी पर मौजूद कृषि फसलों के उत्पादन तथा गुणवत्ता दोनों में लगातार गिरावट आ रही है
6. ओजोन परत के क्षरण से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है और वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक अगर इसी तरह से ओजोन परत का क्षरण होता रहा तो 1 दिन अत्यधिक गर्मी से विश्व का ज्यादातर ग्लेशियर पिघल कर पृथ्वी पर जल वृष्टि की स्थिति पैदा कर देगा

         ओजोन परत के क्षरण को रोकने के प्रयास

विश्व समुदाय द्वारा समय-समय पर ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए संपूर्ण विश्व का ध्यान इस ओर किया गया संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 16 सितंबर को ओजोन परत संरक्षण दिवस के रूप में मनाने के लिए निर्धारित किया गया है इसके अलावा समय-समय पर विश्व समुदाय ने पर्यावरण के संरक्षण तथा विशेष रूप से ओजोन परत के संरक्षण के लिए भी कई सेमिनार तथा सम्मेलन आयोजित किए हैं

       ओजोन परत के क्षरण को रोकने के उपाय
ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए मानव द्वारा पृथ्वी पर इस्तेमाल किए जाने वाली हलोजेनिक गैसों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए मानव द्वारा प्रयोग की जाने वाली  गैसे  क्लोरीन ब्रोमीन मिथाइल क्लोरो क्लोरोफॉर्म तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड को पूर्णत प्रतिबंधित किया जाना पड़ेगा जिससे की इनका वायुमंडल में रिसाव ना हो और ओजोन परत का छेद और बड़ा ना होकर जिस स्थिति में है उसी में रहे या फिर उसी स्थिति में सुधार की गुंजाइश भी हो सकती है

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