Monday 27 May 2019

राजस्थान राज्य की सभ्यता एवं संस्कृति

                          राजस्थान के प्रमुख लोक देवता


             

  1.                                 श्री तेजाजी महाराज    
                यह राजस्थान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोक देवता    माने जाते हैं इनका जन्म धोलिया नक्षत्र में नागौर जिले के गांव खरनाल में विक्रम संवत 1130 कौ हुआ था                         



  1.  श्री तेजाजी महाराज की पत्नी का नाम पेमल था इनके पिता का नाम ताहर देवजी था इनकी माता का नाम रामकुवरी था इन्हें सांपों का देवता या काला और बाला का देवता या कृषि कार्यों का उप कारक देवता के रूप में जाना जाता है इन्होंने लाचा गुजरी की गायों को छुड़ाने का उपकार कार्य के लिए जाना जाता है इनका वीरगति स्थल अजमेर जिले की किशनगढ़ तहसील के सुरसुरा गांव है विक्रम संवत 1160 को श्री तेजाजी महाराज वीरगति को प्राप्त हुए


                            श्री रामदेव जी महाराज                             
                          
  श्री रामदेव जी महाराज पंच पीरों में से एक पीर है इन्हें विष्णु का अवतार कहा जाता है इनका जन्म शिव तहसील जिला बाड़मेर के तोमर राजवंश में हुआ था उनके पिता का नाम श्री अजमाल जीइनके माता जी का नाम  मैणादे था   इनकी पत्नी का नाम नेतल दे था इनके बड़ा भाई का नाम वीरमदेव था इन के गुरु का नाम बालीनाथ था इनके घोड़े को नीला घोड़ा कहा जाता था इन का मंदिर देवरा कहलाता है डाली बाई इनकी धर्म बहन थी इन का मंदिर जो की समाधि है और रामदेवरा जैसलमेर जिले में स्थित है यहां पर भाद्रपद शुक्ल दूज से एकादशी तक मेला लगता है
                        

 श्री पाबूजी महाराज
          


 श्री पाबूजी महाराज को पंच पीरों में से एक तीर माना जाता है इनको गौ रक्षक देवता माना जाता है इन्हें लक्ष्मण का अवतार कहा जाता है इसके साथ इन्हें ऊटो का देवता भी कहा जाता है इनका जन्म  कौलु गाव मै हुआ इनके पिता का नाम धाधलजी राठौड़ था इनकी माता का नाम कमला दे और पत्नी का नाम फूलमती था मारवाड़ में सर्वप्रथमऊंट लाने का श्रेय इनको ही दिया जाता है यह रेबारी जाति के लोक देवता माने जाते हैं इनकी फड़ राजस्थान में काफी लोकप्रिय है पाबूजी ने देवल चारणी की गायों को अपने बहनोई जिजराव खींची से छुड़ाते हुए अपने प्राणों का बलिदान किया जहां प्रतिवर्ष चैत्र की अमावस्या को
 मेला भरता है



भगवान श्री देवनारायण

      
 भगवान श्री देवनारायण के बचपन का नाम उदयसिंह था यह गुर्जर जाति से आते हैं इन्हें विष्णु का अवतार कहा जाता है इसके साथ ही इन्हें आयुर्वेद का ज्ञाता भी कहा जाता है इनका जन्म मालासेरी गांव आसींद तहसील जिला भीलवाड़ा मैं हुआ था इनके पिता का नाम सवाई भोज एवं माता का नाम सेडु था इनका इन का घोड़ा लीलाधर कहलाता है इन की पत्नी का नाम पीपदे था इनका मुख्य मंदिर खारी नदी के किनारे आसींद में स्थित है इनकी मृत्यु भिनाय तहसील जिला अजमेर में हुई थी जहां उनकी मूर्ति की जगह पर बड़ी ईटों की पूजा नीम की पत्तियों से कर छाछ राबड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है प्रतिवर्ष इन का मेला भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को भरता है इनका वाद यंत्र को जंतर कहा जाता है इनकी भी फड़ पढ़ी जाती है

श्री मल्लीनाथ जी



श्री मल्लीनाथ जी का जन्म मारवाड़ में हुआ था इनके पिता का नाम राव  तीडाजी था इनकी माता का नाम जीणादे था इनके नाम पर ही बाड़मेर क्षेत्र का नाम मालाणी क्षेत्र पड़ा इन्होंने लोनी नदी के तट पर तिलवाड़ा नामक स्थान पर समाधि ली मल्लिनाथ जी ने मालवा के सूबेदार निजामुद्दीन की सेना को युद्ध में पराजित किया था इन का मेला चैत्र शुक्ल एकादशी को पशु मेले के रूप में लगता है जिसे राजस्थान का सबसे पुराना पशु मेला कहा जाता है इन का मंदिर लूनी नदी के तट पर बना हुआ है जिस स्थान का नाम तिलवाड़ा है


श्री मांगलिया  मेहाजी महाराज


श्री मांग लिया जी कमरिया पंथ से दीक्षित थे इनका मुख्य मंदिर  बापणी जिला जोधपुर स्थित है यह जैसलमेर के राजा की फौज की तरफ से लड़ते हुए शहीद हुए थे  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को इनका मेला भरता है इन के घोड़े का नाम किरङ काबरा था


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