ओम शब्द का महत्व
भारतीय संस्कृति और सनातन सभ्यता के अनुसार ओम शब्द सृष्टि का मूल शब्द है वेद और पुराणों के अनुसार सृष्टि की रचना के समय अर्थात जब इस पृथ्वी पर जीव का विकास और रचना हुई उससे पहले एक महा ध्वनि उत्पन्न हुई जोकि ओम है ओम शब्द की महिमा हिंदू धर्म ग्रंथ वेद और पुराणों में वर्णन की गई है वेदों के अनुसार ओम शब्द अध्यात्म और धर्म साधना का मूल मंत्र है ओम चारों वेद और 18 पुराणों का प्रवेश द्वार है गीता के अनुसार भ्रम की साधना के लिए एक संपूर्ण अक्सर है और महर्षि पतंजलि के अनुसार ओम ईश्वर का वाचक शब्द है गुरु नानक के अनुसार ओम परम सच्चे से जोड़ने का मूल मंत्र है भगवान महावीर के अनुसार ओम नवकार मंत्र के 5 पदों की वंदना का सार सूत्र है ओम 3 अक्षरों से मिलकर बना है अ का अर्थ है उत्पन्न होना उ काअर्थ है ऊपर उठना और म का अर्थ है मौन हो जाना अर्थात ब्रह्मलीन हो जाना जिसे मोक्ष हो जाना भी कहते हैं
ओम की साधना
ओम का वैज्ञानिक आधार
ओम बड़ा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक शब्द है इसके उच्चारण से पैदा होने वाली तरंगें हमें कई प्रकार के शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है
ओम की साधना
ओम शब्द के नाद जाप ध्यान के लाभ
- तनाव मैं लाभ . ओम शरीर के विषैले तत्वों को दूर करता है तनाव के कारण पैदा होने वाला केमिकल इससे नियंत्रित होता है
- घबराहट में लाभकारी. अगर आपको घबराहट या डर होता है तो ओम का उच्चारण करना सबसे उत्तम है भीतर काआत्मविश्वास जगाने के लिए ओम विशेष सहयोगी हैं
- अ निंद्रा में लाभकारी . रात को सोते समय ओम नाम का ध्यान करने से नींद अच्छी आती है
- एकाग्रता बढ़ाने में लाभकारी. ओम नाम का जाप करने से मन और बुद्धि दोनों मजबूत होते हैं
- पर्यावरण के अनुकूल ध्वनि . ओम का जाप करने से पर्यावरण शुद्ध होता है क्योंकि इसकी ताकतवर तरंग है पर्यावरण में मौजूद हानिकारक और दूषित जीवाणुओं को नष्ट करती है क्योंकि ओम की ध्वनि अद्भुत है
- ओम का उच्चारण करने से शरीर की थकान मिटती है तथा अध्यात्म की ओर मानव का मन अग्रसर होता है तथा शरीर मैं स्फूर्ति का संचार होता है
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